मेनेजमेंट फंडा
बीते कल के मार्केटिंग टूल्स अब धोखेबाजों के हथियार बन चुके है!
‘तीन चीजे हमेशा बिकती है – डर, उम्मीद और लालच|’ बीते दो दशको में कार्पोरेट जगत के लोगो, विशेषकर सेल्स डिपार्टमेंट को प्रशिक्षण देते समय यह मेरा स्थायी वक्तव्य रहा है| हम इन तीन कारणों से ही कोई चीज खरीदते है| हम वैक्सीनेशन करवाते है, क्योकि हम बीमारी से डरते है| हम बेहतरीन यूनिवर्सिटी में पढ़ते है, क्योकि हमे अच्छी जॉब की उम्मीद रहती है और किसी अमीर व्यक्ति के पास कोई प्रोडक्ट देखने के बाद हम लालच में आकर उसे खरीद लेते है, ताकि दुनिया को दिखा सके की वह हमारे पास भी है| हमसे पहले की पीढियों ने भी इस फ़ॉर्मूले को उपयोग किया है, लेकिन वे डर और उम्मीद से अधिक भरे होते थे, लालच तो कुछ दशकों में बढ़ा है|
पहले हमारे पेरेंट कहते थे कि अगर तुमने पढाई नही की तो तुम केवल गाय – ढोरो के झुण्ड के लायक रह जाओगे यानि डर, या मेरा राजा, तुझे डाक्टर बनना है ना बेटा, साइंस में फोकस करो, यानि उम्मीद| लेकिन वे यदा – कदा ही हमे कुछ करने को उकसाने के लिए कोई लालच देते थे| फिर धीरे – धीरे विक्रय की प्रकिया में लालच गहरी पैठ बनाता गया| गेहुंए रंग के किसी एशियाई को गोरा बनाने वाली क्रीम बेचना इसका उदाहरण है | आप ही बताइए, हम में से कितने लोग उस तरह की क्रीम लगाकर यूरोपियनों या अमेरिकियों जैसे गोरे हो सकते है ? वहां तक भी ठीक था | लेकिन अब यह लालच फूड , हेल्थ , कोचिंग , सफल कैरियर जैसे क्षेत्रो में भी दिखाया जाने लगा है | पहले मैन्युफेक्चर्स उम्मीद और डर के विभिन्न रूपों के जरिये हमें उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित करते थे ,लेकिन हमारे पास यह विकल्प रहता था की उनका इस्तेमाल करे या न करे ,क्योकि मास मिडिया में विज्ञापनों के माध्यम से परम्परागत मार्केटर इन्ही टूल्स का इस्तेमाल कर हम तक पहुँचते रहते थे | लेकिन पिछले कुछ सालो में विशेषकर बीते चार सालो में स्कैमर्स इस मार्केटिंग टूल पर हावी हो गये और अब वे सीधे हमारे मोबाईल फ़ोन के जरिये हम तक पहुँच रहे है |
मुंबई के एक मजिस्ट्रेट का उदाहरण लीजिये | इस शुक्रवार उन्हें एक मैसेज मिलता है की सुबह साढ़े नौ बजे उनके घर की बिजली काट दी जाएगी , क्योकि उन्होंने पिछले महीने का बिल नही भरा है | उनसे कहा गया था की अगर वे ऐसा नही चाहते है तो एक नम्बर पर कॉल करे | उन्होंने न केवल उस पर कॉल किया , बल्कि दूसरी तरफ से दिए जा रहे निर्देशों का पालन भी किया | चंद ही मिनटों में वे 50 हजार रूपये गवां चुके थे | या क्राइम पैट्रोल में कम चुकी अभिनेत्री अमन संधू का उदाहरण ले | वे एक डाक्टर का अपोइन्मेन्ट बुक करते समय एक व्हाट्सएप ट्रैप में फँस गयी और 20 मिनटों में 2 लाख रूपये से हाथ थो बैठी | शोर्टकट के माध्यम से कमाई करने वाले जुआरी भी ठगी का शिकार हो रहे है | गुजरात के मेहसाणा जिले के कुछ बेरोजगार युवाओ ने खुद का एक आईपीएल चालू कर लिया और रूसी जुआरियो को ठग लिया,जबकि ओरिजिनल आईपीएल पिछले महीने ही समाप्त हो चुका है खिलाड़ियो के रूप में उन्होंने खेतों पर काम करने वाले मजदूरों को प्रस्तुत किया किसी से हर्षा भोगले की मिमिक्री करने को कहा और बेट लगाने के एडिक्टेड इन दूर बैठे दर्शको के लिए अपना खुद का एक यूट्यूब चैनल खोल लिया | उन्हें लालच का फल पैसे गंवाकर ही मिला |
फंडा यह है की हमें स्मार्ट बनना होगा और वास्तविक मार्केटियर व स्कैमर के अंतर को पहचानना होगा , क्योंकि अज दोनों ही हमें आकर्षित करने के लिए एक ही टूल का उपयोग कर रहे है | लेकिन उनमे से एक अपना प्रोडक्ट बेचना चाहता है , वही दूसरा आपके बैंक खाते में सेंध लगाना चाहता है |